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इतिहास

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  • रास कला मंच सफीदों की स्थापना इसके संस्थापक कला प्रेमी व समाज सेवी श्री रास बिहारी ने हरियाणा में स्थित जीन्द जिले के एक छोटे से कस्बे सफीदों में की। यह नाट्य संस्था नौजवान और प्रखर रंगकर्मी रवि मोहन और मनीष जोशी की मेहनत व चेष्टाओं से आगे बढ़ी। रास कला मंच हरियाणा व देशभर मे सन 2004 से रंगकर्म के क्षेत्र में वीरता और धीरतापूर्वक संवहन कर रही है। सन 2015 में मनीष जोशी ‘रास कला मंच’ से अलग हुए और अपनी अलग नाट्य संस्था बनाई। इसके पश्चात रंगगुरु रवि मोहन ने स्वयं रास कला मंच का कार्यभार पूर्णरूप से संभाला। इनके नेतृत्व में नाट्य दल ने कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय नाट्य महोत्सवों में सफल भागीदारी निभाई है। संस्था द्वारा हम तो ऐसे ही है, मैं कहानी हूँ, लख्मीगाथा, जब मैं सिर्फ एक औरत होती हूँ, नागमंडल, दूसरा आदमी दूसरी औरत, चंदु भाई नाटक करते हैं, परसाई की चौपाल, कहन कहानी कहन, कुरुक्षेत्र गाथा, मारिया फरार, तीन खामोश औरतें, संक्रमण से वायरस तक आदि नाटकों की सफल प्रस्तुतियाँ की गई हैं। रास कला मंच हरियाणा की लोक नाट्य शैली पर भी काम करती आई है। संस्था ने कई चर्चित सांस्कृतिक संस्थानो जैसे : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली, एन॰ जेड॰ सी॰ सी॰ पटियाला, डब्ल्यू॰ जेड॰ सी॰ सी॰ उदयपुर, एन॰ सी॰ जेड॰ सी॰ सी॰ प्रयागराज, चुनाव आयोग भारत सरकार, हरियाणा कला परिषद चंडीगढ़, मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर कुरुक्षेत्र, सूचना जनसम्पर्क एवं सांस्कृतिक मामले चंडीगढ़, कला एवं सांस्कृतिक विभाग, हरियाणा सरकार, चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड कुरुक्षेत्र आदि के साथ भी कार्य किया है।

अगर आप लेखक, अभिनेता या फिर मंच से जुड़ी किसी भी विधा को व्यक्त करना चाहते हैं तो उसके लिए रंगमंच पर प्रस्तुति देना अति आवश्यक है । जिसके लिए मंच, कलाकार व दर्शकों का होना अनिवार्य है । इन सबके बिना किसी भी मंचीय प्रस्तुति की कल्पना करना भी व्यर्थ है ।

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