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रचनात्मक निर्देशकों के बारे में

रचनात्मक निर्देशकों के बारे में - रास कला मंच

रचनात्मक निर्देशकों के बारे में


दीपक कुमार (मंच परिकल्पक, पेंटर)

चित्रकार दीपक कुमार का जन्म हरियाणा प्रांत के पानीपत शहर में हुआ । बचपन से ही इनकी रुचि कला एवं कलात्मक कृतियों में रही है । दीपक कुमार बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं और ये चित्रकला के अलावा मूर्तिकला, शिल्पकला एवं संगीत की भी अच्छी समझ रखते हैं । अपने सौम्य व्यक्तित्व के कारण ये सबके दिलों पर अपनी अनूठी छाप छोड़ते हैं । इन्होने चित्रकला की साधना प्रसिद्ध चित्रकार श्री सोमदत्त शर्मा (जीन्द) जी के सानिध्य में की । इनकी खास रुचि यथार्थवादी चित्रकला में है । ये रास कला मंच, सफीदों थियेटर ग्रुप से काफी लंबे समय से जुड़े हुए हैं । इन्होने ‘नागमंडल’ और ‘कुरुक्षेत्र गाथा’ आदि नाटकों में मंच परिकल्पना, मंचसज्जा व हस्त सामग्री तैयार की है । इनके अनुसार ‘एक अच्छी अभिव्यक्ति के लिए कलाकार का भावुक होना बहुत आवश्यक है’ ।



पवन भारद्वाज (लेखक, प्रकाश प्रबन्धक, कलाकार, निर्देशक)

भरतमुनी जी द्वारा आशीर्वाद स्वरूप प्रेषित- कलाकार वो है जो मनोरंजन के माध्यम से लोगों व समाज के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करता है, इसी वक्तव्य की सार्थकता को अपना जीवन दर्शन समझकर चल रहें हैं पवन भारद्वाज । बचपन से ही इन्होने अपनी कलात्मक गतिविधियों से अपनी कला समझ को बढ़ाया है और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट से स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की है और अपनी कला समझ को बढ़ाने के लिए निरंतर सम्पूर्ण विश्व, जीवन व कला के अंर्तसम्बन्धों के अध्यन की कोशिशों में लगे रहते हैं । इनके अनुसार थियेटर सभी कलाओं का मिश्रण है । एक अभिनेता के रूप में इन्होने ‘मेरा दोस्त’, ‘पैसा बोलता है’, ‘समझदार लोग’, ‘धर्म संकट’, ‘दा टैम्पैस्ट’, ‘बड़े भाईसाहब’, ‘सद्गति’, ‘थ्री पैनी ओपेरा’, ‘हरियाणा ग्रहण’, प्रस्तुतियों में काम किया । एक निर्देशन के रूप में इन्होने समझदार लोग, धर्म संकट, जल रहा पाकिस्तान, हज़ारे हम तुम्हारे, पंचायत, गुलाम पंछी, ओ बेटे चंडीगढ़, में अपना निर्देशन दिया । एक सह-निर्देशक के तौर पर ‘मैकबैथ’, ‘नाचनी’, ‘गुरुदक्षिणा’, ‘दहलीज’, ‘गूंगी चीखें’, ‘कपालिका’, ‘नागमंडल’, ‘घासीराम कोतवाल’, ‘भगवत अज्जुकम’, ‘हीर-रांझा’, ‘कुरुक्षेत्र गाथा’ और लेखक के रूप में ‘पंचायत’, ‘गुलाम पंछी’, ‘हांसों दोपहरी में बबली गैल ’, ‘हरियाणा ग्रहण’, ‘ओ बेटे चंडीगढ़’, ‘हैप्पी बर्थड़े हरियाणा’, व ‘लगता है हमें फिर आना पड़ेगा’ में अपना अहम योगदान दिया । पवन भारद्वाज लगातार रास कला मंच के नाट्य उत्सव प्रथम चलो थियेटर से इस 9वें चलो थियेटर तक बतौर कला सलाहकार जुड़े हुए हैं तथा रास कला मंच के अन्य कलात्मक तकनीकी पहलुओं को देख रहे हैं।

अगर आप लेखक, अभिनेता या फिर मंच से जुड़ी किसी भी विधा को व्यक्त करना चाहते हैं तो उसके लिए रंगमंच पर प्रस्तुति देना अति आवश्यक है । जिसके लिए मंच, कलाकार व दर्शकों का होना अनिवार्य है । इन सबके बिना किसी भी मंचीय प्रस्तुति की कल्पना करना भी व्यर्थ है ।

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