चलो थियेटर राष्ट्रीय नाट्य
“चलो थियेटर” राष्ट्रीय नाट्य उत्सव हरियाणा का सबसे प्रतिष्ठित नाट्य उत्सव है। रास कला मंच पिछले 8 वर्षो से इस नाट्य उत्सव को आयोजित करा रहा है। रास कला मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम मे बॉलीवुड की ख्याति प्राप्त हस्तियाँ टॉम आल्टर, सीमा बिश्वास, राकेश बेदी, सुधीर पांडे, मानव कॉल, कुमुद मिश्रा, वंश भारद्वाज, मीनल कपूर, राजेन्द्र शर्मा (नानू), गीता अग्रवाल शर्मा, श्री कमल तिवारी, श्रीमती डोली अहलुवालिया तिवारी और रंगमंच की जानी मनी हस्तियाँ पदम श्री डॉक्टर नीलम मान सिंह, पदम भूषण डॉ. तीजन बाई जी, प्रो. वामन केंद्रे, श्री राजेन्द्र्नाथ, श्री बहारुल इस्लाम, श्री शांति बर्धन, श्री चित्तरजंन त्रिपाठी, श्री पूर्ण सिंह भाट, श्रीमती दादी पदम जी, श्री संजय उपाध्याय, अनुपा रॉय, श्री जे पी सिंह, श्री मुश्ताक़ कॉक, श्री गुरशरन सिंह चन्नी, श्री भारतेन्दु कश्यप, श्री अतुल यदुवंशी, डॉ. सतीश कश्यप, श्री आर एम विकल, श्री इशामुद्दीन, श्री सुरेश भारद्वाज, श्री शरद वर्मा, श्री सुरेश शर्मा, डॉक्टर जगबीर राठी, श्री अभिषेक भारती, श्री आर. के. ढींगरा, श्री दुष्यंत कुमार, श्री सुमन कुमार, श्री हरभजन सिंह, श्री बलवंत ठाकुर, श्रीमति डॉली आहुलवालिया, श्री शक्ति सिंह अहलावत, श्रीमति नीना गुप्ता, श्री अमितोष नागपाल, श्री सुदेश शर्मा, डॉ. संध्या शर्मा, साजिदा साजी, श्री अजित चौधरी, श्री अरुण मलिक, श्री केवल धालीवाल, डॉ. संजीव चौधरी, श्री ईश्वर शून्य, श्री प्रीतपाल पन्नु, श्री जयदेव तनेजा, श्री रवीन्द्र शर्मा, श्रीमति हिमानी शिवपुरी, श्री रोहिताश गौड़ जैसी महान हस्तियाँ “चलो थियेटर” राष्ट्रीय नाट्य उत्सव एवं रास रंग सम्मान मे शिरकत कर चुके हैं। हर वर्ष रास कला मंच देश के विभिन्न भागो से रंगमंच की प्रस्तुतियों को आमंत्रित करता है और उनका मंचन अपने राष्ट्रीय नाट्य उत्सव “चलो थियेटर” में प्रस्तुत करता है।
रास रंग सम्मान
रास रंग सम्मान को थियेटर में उत्कृष्ठ कार्य के लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध कलाकारों को विभिन्न क्षेत्रों उनकी कलात्मक गतिविधियों के अंतर्गत सम्मानित किया जाता है ।
ये पुरस्कार 2010 से दो रंग सम्मान के साथ शुरू किए गए और वर्तमान में 9 रास रंग सम्मान से कलाकारों को सम्मानित किया जाता है । सम्मान प्राप्तकर्ता को उत्कृष्ठता प्रमाण पत्र के साथ शाल व 11,000/- रुपए के नकद पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है ।
रास रंग सम्मान को महान थियेटर हस्तियाँ हबीब तनवीर, पंडित लख्मी चंद, पंडित सत्यदेव दुबे, पृथ्वीराज कपूर, निर्मल पांडे, स्वदेश दीपक, राममेहर मलिक, ज़ोहरा सहगल और ओम पूरी की स्मृति में सम्मानित किया जाता है जो थियेटर के क्षेत्र में उत्कृष्ठता के चरम शिखर पर पहुँच गए और आगामी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गए ।
सर्पदमन नाट्य उत्सव
महाभारत काल का गौरवशाली सर्पदमन शहर वर्तमान में सफीदों के नाम से जाना जाता है। सर्पदमन भारत के न केवल ऐताहासिक आध्यात्मिक सांस्कृतिक सदभाव का प्रतीक है बल्कि नई पुरातन पीढ़ी का जीवन दर्शन सेतू है । यहाँ पर प्राचीन काल से 6 रामलीलाएँ हुआ करती थी जो पिछले 10 वर्षों में एक-एक, दो-दो करके बंद हो चुकी हैं हालांकि इसका कारण आधुनिक आडम्बर व सिनेमा का भौंडापन भी है । रास कला मंच का यह मानना है कि पिछले 4 वर्षों से इस महाभारत काल की ऐतिहासिक भूमि पर रामलीला न होने के कारण मंचन की स्थिति बिल्कुल नंग्न्य है । रास कला मंच पिछले 15 वर्षों से इस भूमि पर रंगमंच बाल कार्यशालाओं व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली की नाट्य कार्यशाला के जरिये रंगमंच के लिए संघर्ष तो करता रहा है लेकिन पूरी तरह से किसी भी प्रस्तुति के मंचन के लिए व्यवस्था न होने के कारण आजतक इका-दुक्का प्रस्तुतियों का मंचन ही कर पाया है । लेकिन रास कला मंच ने अपने रंगमंडल के द्वारा तैयार प्रस्तुतियाँ का देशभर के कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नाट्य उत्सवों में मंचन किया है और निरंतर अभी भी कर रहा है । रास कला मंच, सफीदों द्वारा आयोजित होने वाले चलो थियेटर का आयोजन भी सफीदों से बाहर (बाल भवन हिसार, दीवान बाल रंगशाला जींद, शिव ओम सभागार हिसार, राधाकृष्ण सभागार रोहतक, टेगोर थियेटर चंडीगढ़ और मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर, कुरुक्षेत्र) ही हुआ है । लेकिन वर्ष 2017 से रास कला मंच सफीदों इस ऐतहासिक भूमि पर अपना तीन दिवसीय सर्पदमन नाट्य उत्सव करना शुरू किया है ताकि इस ऐतिहासिक भूमि पर फिर से रंगमंच की भूमि तैयार हो सके । यह नाट्य उत्सव तीन दिन का होता है इसमें रास कला मंच रंगमंडल की तीन तैयार प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत की जाती है और यह नाट्य उत्सव महाभारत काल के मंदिर नागक्षेत्र के साथ सटे हुए रामलीला मैदान में किया जाता है जिसका 2000 के लगभग दर्शक प्रतिदिन रसासवादन करते हैं ।
रासोत्सव
रास कला मंच सफीदों रंगमंडल के कलाकारों द्वारा तैयार किए गए नाटकों का नाट्य उत्सव सफीदों से बाहर कहीं भी आयोजित किया जाएगा वो सभी नाट्य उत्सव रासोत्सव के नाम से किए जाएंगे । रासोत्सव 3 से 5 दिन का होगा, जो भी संस्था, नाट्यदल, विश्वविद्यालय, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं इस नाट्य उत्सव का आयोजन रास कला मंच के साथ मिलकर करेंगी उसके लिए रास कला मंच अपने नाटकों का आधा मानदेय प्राप्त करेगा । रासोत्सव के आयोजन के लिए प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि व्यवस्था, सभागार, विज्ञापन व कलाकारों के रहने खाने का प्रबंध स्थानीय आयोजकों द्वारा किया जाएगा ।